अक्षय तेरा कोष है, अक्षय तेरा नाम।
अक्षय पलकें खोल दे, अक्षय दे वरदान।
जय अक्षय हरजी सुत देवा। शीश नवायें, करते सेवा।।1।।
जय मारुति सेवक सुखदायक। जय जय जय अंजनि सुत पायक।।2।।
तुम हो दया निधान प्रभु, मैं मूरख अज्ञान।
भूल चूक सब क्षमा करो, पौत्र वंश तव जान।।
आछौ लागेजी दादाजी थारो धाम,धोरे पर बण्यो शुभ सुन्दरम्।
परसनेऊ म पीपल सारै, भला विराज्या आप।
धोरे ऊपर धाम, चिमटो चोखो काम करै।
परसनेऊ हे ग्राम, सेवक नित चरणन परै।।
धन थारी अंजना मार्इ ओ पवन सुत थे हर का साचा हो सिपाही
जद राजा रामचन्द्र लंका पधारे पत्थरों की पाल बन्धार्इ
र और म दोय अक्षर लिखिया सागर सिला तरार्इ
श्री दधिमथी मातेश्वरी का छन्द
छन्द गुण दधिमथी का गाता, सकल की सहाय करो माता ।।टेर।।
दधिमथी मोटी महामार्इ , महर कर गोठ नगर आर्इ।
ग्वालो चरात है गार्इ , कहो तुम बोलो मत भार्इ।
अभी मैं बाहर तो आऊं , लोक में संपत बपराऊँ।